छुट्टियों में कैसे पढ़े और समय का सही उपयोग कैसे करें | How to Study in Vacation || Student Motivational in Hindi, Utilize Vacation
आज हम बात करने वाले हैं एग्जामिनेशन के बाद वेकेशन मतलब छुट्टियां मैं टाइम को कैसे उपयोग करें.
जैसे ही एग्जामिनेशन खत्म होता है वह दिन ही अलग लगता है, मतलब आप वह दिन फील कर सकते हैं. 1 दिन पहले जब एग्जामिनेशन था तब और एग्जाम खत्म होने के बाद कितना डिफरेंट लगता है.
जैसे ही एग्जामिनेशन खत्म होता है आप एक बात हमेशा बोलते हो अब नहीं आने वाले एग्जाम मैं चाहे किसी भी क्लास में 12th, 11th,...5th. शुरू से ही ठान लेते हैं अब तो हिला देना है. वह बच्चा जिसने आज तक अपने स्कूल में पूरी अटेंडेंस नहीं लगाई हो पर स्कूल के शुरुआत दिन में कोई आए या नहीं आए वह जरूर आता है और यहां पर सबसे ज्यादा जल्दी होती है कब लूंगा बुक्स स्कूल वाले बुक्स क्यों नहीं लाते हम यह सोचते रहते हैं. बाद में धीरे-धीरे सब नॉर्मल हो जाता है. बाद में कहते हैं अभी तो बहुत टाइम पड़ा है. बहुत सारे स्टूडेंट इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जो वेकेशन टाइम है वह गोल्डन टाइम में उसका में सही से उपयोग करना होगा. यदि आप इसे सही से उपयोग कर लिया तो आने वाले ऑफ ईयर एग्जामिनेशन हो, फाइनल एग्जामिनेशन हो उसमें आप सही स्कोर कर पाएंगे. रीज़न यही हैं कि आपने स्कूल के होमवर्क तो कंप्लीट करें ही साथ में स्कूल से दो कदम आगे चले मतलब नेक्स्ट क्लास कि किताबें थोड़ी बहुत पहले से ही पढ़ ली. जब आपका कॉलेज यह स्कूल ओपन होगा तब आपको सारी चीजें पहले से ही आ रही होगी और आप कुछ चैप्टर भूल भी गए होंगे तो वहां से फिर से पढ़ सकते हैं. आपके दिमाग पर प्रेशर नहीं बनेगा कि इतना पढ़ना है उतना पढ़ना है आपको सब कुछ रिवीजन जैसा लगेगा.
अब बात आती है वेकेशन बहुत बड़ा है किसी का 1 महीना किसी का 2 महीने, जब भी पढ़ने बैठते हैं तो लगता है आज नहीं कल पढूंगा. आंसर देने से पहले मैं आपको एक स्टोरी सुनाना चाहता हूं. जापान के मछुआरे हमेशा समुंदर के किनारे मछलियां पकड़ते थे पहले वो मछुआरे मछलियां किनारे से पकड़ते थे पर वहां से धीरे-धीरे मछलियां खत्म हो गई. तो वह अपनी नाव में बैठकर थोड़ा दूर जाने लग गए मछलियां पकड़ने के लिए. वहां से पकड़ कर लाते थे धीरे-धीरे वहां से भी मछलियां खत्म हो गई फिर वह थोड़ा और दूर चले गए. बात यह नहीं थी कि वह दूर से मछलिया लेकर आते थे दूर से मछलियों को लाते लाते मछलियां मर जाती थी बाद में उनको बहुत कम कीमत में लोगों को बेचनी पड़ती थी और इनसे उनका बहुत सारा नुकसान होता था. यह समस्या बहुत बार आने लग गई तो उनको समझ नहीं आ रहा था कि करें क्या ऐसे ही बहुत दिन चलता रहा चलता रहा. अचानक एक दिन वह शिप लेकर उतरे और हर दिन की तरह परेशान थे आज फिर से मरी हुई मछलियां मिलेगी. जैसे ही वह मछली पकड़ने गए उनको एक शार्क मछली दिखाई दे वह बहुत डर गए. उन्होंने सोचा रोज मरी हुई मछली तो मिलती है आज खाली हाथ वापस जाना पड़ेगा. जैसे ही वह मछली पकड़ने की जाली में देखते हैं उनको सारी मछली जिंदा मिलती है. क्योंकि शार्क मछली से डरकर वह मछली इधर उधर भागती रही. इसे हमें यह समझने को मिलता है कि डर का होना बहुत जरूरी है.
जैसे ही एग्जामिनेशन खत्म होता है वह दिन ही अलग लगता है, मतलब आप वह दिन फील कर सकते हैं. 1 दिन पहले जब एग्जामिनेशन था तब और एग्जाम खत्म होने के बाद कितना डिफरेंट लगता है.
जैसे ही एग्जामिनेशन खत्म होता है आप एक बात हमेशा बोलते हो अब नहीं आने वाले एग्जाम मैं चाहे किसी भी क्लास में 12th, 11th,...5th. शुरू से ही ठान लेते हैं अब तो हिला देना है. वह बच्चा जिसने आज तक अपने स्कूल में पूरी अटेंडेंस नहीं लगाई हो पर स्कूल के शुरुआत दिन में कोई आए या नहीं आए वह जरूर आता है और यहां पर सबसे ज्यादा जल्दी होती है कब लूंगा बुक्स स्कूल वाले बुक्स क्यों नहीं लाते हम यह सोचते रहते हैं. बाद में धीरे-धीरे सब नॉर्मल हो जाता है. बाद में कहते हैं अभी तो बहुत टाइम पड़ा है. बहुत सारे स्टूडेंट इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जो वेकेशन टाइम है वह गोल्डन टाइम में उसका में सही से उपयोग करना होगा. यदि आप इसे सही से उपयोग कर लिया तो आने वाले ऑफ ईयर एग्जामिनेशन हो, फाइनल एग्जामिनेशन हो उसमें आप सही स्कोर कर पाएंगे. रीज़न यही हैं कि आपने स्कूल के होमवर्क तो कंप्लीट करें ही साथ में स्कूल से दो कदम आगे चले मतलब नेक्स्ट क्लास कि किताबें थोड़ी बहुत पहले से ही पढ़ ली. जब आपका कॉलेज यह स्कूल ओपन होगा तब आपको सारी चीजें पहले से ही आ रही होगी और आप कुछ चैप्टर भूल भी गए होंगे तो वहां से फिर से पढ़ सकते हैं. आपके दिमाग पर प्रेशर नहीं बनेगा कि इतना पढ़ना है उतना पढ़ना है आपको सब कुछ रिवीजन जैसा लगेगा.
अब बात आती है वेकेशन बहुत बड़ा है किसी का 1 महीना किसी का 2 महीने, जब भी पढ़ने बैठते हैं तो लगता है आज नहीं कल पढूंगा. आंसर देने से पहले मैं आपको एक स्टोरी सुनाना चाहता हूं. जापान के मछुआरे हमेशा समुंदर के किनारे मछलियां पकड़ते थे पहले वो मछुआरे मछलियां किनारे से पकड़ते थे पर वहां से धीरे-धीरे मछलियां खत्म हो गई. तो वह अपनी नाव में बैठकर थोड़ा दूर जाने लग गए मछलियां पकड़ने के लिए. वहां से पकड़ कर लाते थे धीरे-धीरे वहां से भी मछलियां खत्म हो गई फिर वह थोड़ा और दूर चले गए. बात यह नहीं थी कि वह दूर से मछलिया लेकर आते थे दूर से मछलियों को लाते लाते मछलियां मर जाती थी बाद में उनको बहुत कम कीमत में लोगों को बेचनी पड़ती थी और इनसे उनका बहुत सारा नुकसान होता था. यह समस्या बहुत बार आने लग गई तो उनको समझ नहीं आ रहा था कि करें क्या ऐसे ही बहुत दिन चलता रहा चलता रहा. अचानक एक दिन वह शिप लेकर उतरे और हर दिन की तरह परेशान थे आज फिर से मरी हुई मछलियां मिलेगी. जैसे ही वह मछली पकड़ने गए उनको एक शार्क मछली दिखाई दे वह बहुत डर गए. उन्होंने सोचा रोज मरी हुई मछली तो मिलती है आज खाली हाथ वापस जाना पड़ेगा. जैसे ही वह मछली पकड़ने की जाली में देखते हैं उनको सारी मछली जिंदा मिलती है. क्योंकि शार्क मछली से डरकर वह मछली इधर उधर भागती रही. इसे हमें यह समझने को मिलता है कि डर का होना बहुत जरूरी है.
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April 18, 2018
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